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चीन के राष्ट्रपति सी जिम्पींग का भारत भ्रमण : क्या होंगे असर ?

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भारत और चीन अपने पुरातन सोच से एकसाथ आगे आते हैं तो आनेवाले समय में एशिया दुनिया का शक्ति केन्द्र के रुप में स्थापित होगा ।    चीन के राष्ट्रपति सी जिम्पींग और भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी २०१९ अक्टोबर १२ तारीख को भारत में मिलनेवाले हैं । भारत की धार्मिक नगरी वाराणसी में दोनों नेताओं के बीच शिखर वार्ता की संभावना है । संभव है, गंगा नदी में सी को नौकायन भी कराया जायेगा । पिछले साल चीन के युहान में दोनों नेताओं के बीच पहला शिखर वार्ता का आयोजन किया गया था । वाराणसी वार्ता को इसी शुरुआत की दूसरी कडी के रुपमें देखा जा रहा है ।  वार्ता की तयारीे के लिए विभिन्न स्तरों की वार्ताओं का होना बाँकी है । लगता है, दोक्लाम विवाद को लेकर दोनों देशों के रिश्तों में जमी बर्फ को तोडने में बेइजिङ और दिल्ली के  प्रयास जारी हैं । युहान वार्ता को इस प्रयास के लिये आधार माना गया था । उसके बाद  बदलते हालातों के साथ, लगता है दोनों में एक दूसरे पडोसी की आवश्यकता को पहचानने का सोच काम करने लगा है । परन्तु इस सोच का साकार बन जाना इतना आसान नहीं है । फिर भी सतह में ज...

अब चीन और भारत बीच की दूरियों का मतलब एशिया की तबाही

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अमरीकी  स्वार्थ का कहीं भी केन्द्रित होने से वहा अधिकतर द्वन्द का बीजारोपण होता देखा गया है । इस समय एशिया और आसपास उसकी नजर है।  चीन और भारत को चाहिए कि वे अमरीकी पैंतरेबाजी को समझते हुये आपसी फसले को कम करें । नहीं तो, एशिया में आनेबाले दिनो मे  कई जगह भयानक द्वन्द हो सकते हैं । फिलहाल एशिया पर बाहरी दुनियाँ की तकरीबन सभी मौजूदा और मुकाम की ओर आगे बढ रही  महाशक्तियों की पैनी नजर है । पूर्वी एशिया और प्रशान्त क्षेत्र में बढती रणनीतिक सरगर्मियों का यही मतलब निकाला जा सकता है । अगर कुछ अनहोनी नहीं होती है तो आनेवाले कुछ दशकों में ही एशिया विश्व का आर्थिक केन्द्र बनने की ओर अग्रसर है । इसी के चलते एशिया की भू—रणनीतिक महत्व ऐसी शक्तियों के लिए  निरन्तर बढता नजर आता है । शीतयूद्ध के समाप्ती के बाद रणनीतिक समीकरणों में आयी विखराव के बाद इस महाद्वीप में भूराजनीतिक समीकरण पुरानी से नई स्वरुप में ढल रहा प्रतीत हो रहा है ।   चीन की दूनियाँ में आर्थिक वृद्धि के जरिये फैलने की रणनीति, भारत का बढता अर्थतन्त्र और जापान की निरन्तर चलरही तरक्की से उत्पन...

नेपालमा पिस फेडेरेशनको भव्य समिट : इसाईकरणको उद्देश्य त होईन ?

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टिप्पणी लेख  बाबुराम पौड्याल यही मंसीर चौध गतेदेखि चारदिनसम्म काठमाण्डौ मा Asia Pecific Summit ( एशिया प्यासिफिक समिट )को भव्य आयोजन शुरु भएको छ । समिटको आयोजन Universal Peace Federation युनिभर्सल पिस फेडेरेशन ) नामक ईसाई धर्मप्रचारक संस्थाले गरेको हो । समिटमा यस क्षेत्रबाट   म्यानमारकी नेतृ आङसाङ सु की, कम्बाडियाका प्रधानमंत्री हुन सेन,भारतका पूर्वपधानमंत्री हरदानहल्ली देवीगौडा देवगौडा पकिस्तानका पूर्वप्रधानमंत्री युसुफ रजा गिलानी लगायत पन्द्र देशका वीवीआईपीहरुको सहभागिता रहेको छ । विश्वका पैंतालिस देशबाट झण्डै डेढहजार भन्दा बढी आमन्त्रितहरुको सहभागिता रहेको जनाईएको छ । यस्तो समिट नेपालमा पहिलो पटक आयोजित गरिएको भएपनि यो नै पहिलो भने होईन । विश्वका विभिन्न स्थानहरुमा यो आयोजित हुँदै आएको थियो तिनमा यसअघि केही  नेपालका प्रधान मंत्रीहरुले समेत सहभागिता जनाऊँदै आएका छन् । शान्ति र संवृद्धिका नाममा यस्तो समिट आयोजना हुँदै आएको आयोजकहरुको दावी रहँदै आएको छ । विश्वमा तीव्र गतिमा ईसाईकरण हुँदै गएका देशहरुमा नेपाल पनि पर्दछ । ईसाई मिशनरीहरु विभिन्न बहाना बनाएर प्र...