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भारतीय लोकसभा चुनाव : कम्यूनिष्टों का सिकुडता प्रभाव

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२०१९ के लोकसभा चुनावों ने भारतीय  जनतापार्टी की जीत ने बिपक्ष की अन्य  सभी राजनीतिक शक्तियो के साथसाथ कम्युनिस्ट ताकतों को  भी सकते में डालदिया  है।   भारत में २०१९ में हुये सत्रहवें लोकसभा चुनावों के नतिजों ने कम्युनिष्टों को और भी खराब स्थिती पर पहुँचा दिया है । कम्युनिष्टों के पास भारतीय आमलोगों के पक्ष में धर्मनिरपेक्षता, आर्थिक सबलिकरण, सुशासन और समानता जैसे मुद्दे परम्परा से ही रहे हैं, फिर भी उनको जनता क्यों क्रमश नकार रही है — सोचनिय बात है । इससे यही सिख मिलती है कि अकेले मुद्दों का सही होना ही संसदीय राजनीति में सफल होना नहीं है उस में जनता भरोसा का होना भी महत्वपूर्ण है । संसदीय लोकतन्त्र में हिस्सेदारी करते आरहे सीपीआई, सिपिएम और सिपीआई एमएल जैसे कम्युनिष्ट पार्टियों के लिए चुनावी असफलता उनके अन्दर की खामियों की ओर ईशारा करता है ।   इन चुनावों में दक्षिणपंथी भारतीय जनता पार्टी के भगवा रंग में इस कदर भारत रंग गया कि उसके सभी विपक्षों की हैसियत तकरीबन हासिये से बाहर दिखाई देता है । भाजपा के पास बहुसंख्यक भारतीयों के पक्ष में मुद्द...

पाकिस्तान ः इमरान खान प्रधानमंत्री बनने के करीब

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                                                                                                                    —बाबुराम पौड्याल         हाल  ही में पाकिस्तान मे हुये चुनावों में पाकिस्तानी क्रिकेट के पुराने कप्तान इमरान खान की सियासी पार्टी पाकिस्तान तेहरिक ए ईन्साफ पार्टी ( पीटीआई) ने ११६ सिटें जितकर संसदमें सबसे बडी पार्टी बन गई है । चुनाव आयोग ने २७० सीटों के नतिज...