भारत—पाक तनाव ः भारतीय मुख्य धारा की मिडिया का छिछोरापन
लगता था दोनाें देश की सेना नहीं मिडिया स्टुडियो से जंग लड रहा था ।
अप्रैल २२ को पहलगाम में हुये आतंकी हमले से लेकर मई १० तक भारत और पाकिस्तान के बीच चलरहा तनाव से माहौल गर्म था । मई ७ तारीख से तनाव और भी गहरा हो गया था , मिसाईल और ड्रोनों से हमले तक की भी खबरें थी । दोनों के बीच हवाई टकराव चलरहा था । दोनों ओर से ड्रोन हमले तक की खबरें थी । कई युद्धक विमानों के गिरने और धनजन की क्षती के दावे अपने मुताबिक ठोके जारहे थे । हालात उत्कर्ष की ओर जाने का अंदेशा होने लगा था । भारत में ही नहीं उसके पडोसी देश नेपाल के हरएक गली नुक्कडों तक में मसले को लेकर चरचे चल रहे थे । पुलवामा हमले में एक नेपाली नागरीक की भी हत्या हुई थी । इसलिए भी नेपाल में चरचों का होना लाजिमी था ।
भारत ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर मिसाईल प्रहार के बाद पाकिस्तान ने भी जबावी कार्यवाही शुरु कर दिया था । पाकिस्तान जबावी कार्यवाही करने के स्तर तक आगे बढेगा किसी को विश्वास ही नहीं था, शायद भारतको भी नहीं । कहाँ शक्तिशाली भारत कहाँ कमजोर पाकिस्तान, आम लोगों की यही पारम्परिक सोच थी । विगत में भी कईबार भारत में हुये आतंकी हमलों के बाद भारत की ऐसी कारबाही होती थीं पर इसबार परिस्थिति कुछ फर्क दिखाई दे रहा था ।
उन्हीं दिनों मंै एक सुबह अपने एक मित्र के घर पर गया था । वैसे उन मित्र के और मेरे घर अक्सर जाना आना लगा रहता है । बैठ भी नहीं पाया था कि अन्दर से मुस्कुराते हुये भाभी चाय लेकर आयीं जैसे उनको मेरे आने की भनक पहले ही लग चुकी थी । मित्र और मैं दोनों बैठकर चाय का मजा लेने लगे । कुशलक्षेम के बाद दो पडोसी देश भारत और पाकिस्तान के बिच चलरहे सैन्य टकराव पर बातचित होने लगी । भारतिय मिडिया में पहलगाम घटना के बाद गरीब पाकिस्तान को मार देंगे ठोक देंगे जैसे उतावले समाचारों को मीर्च मसालें के साथ चलाया जारहा था । लगता था प्रतिशोध उत्सव मनाया जा रहा है ।
अप्र्रैल २२ के दिन पहलगाम में आतंकियो द्वारा २८ सैलानियों की निन्दनीय हत्या के बाद दोनों देशों मे तनाव शुरु हो गया था । भारत का आरोप था कि उन आतंकवादियों के पिछे पाकिस्तान हाथ है जबकि पाकिस्तान इस आरोप को इन्कार कर रहा था । प्रतिवाद में आक्रोशित भारत ने ७ मई से पाकिस्तान में आतंकियों के ९ ठिकानों पर मिसाईल प्रहार किया था । पाकिस्तान ने भी जबावी कार्यवाही शुरु कर दिया था । लगता था अब पाकिस्तान कोे भारी नुक्सानी उठाना पडेगा । मित्र के संग इन्ही खबरों पर बातचित हो रही थी कि भितर से मित्र की नन्ही सी बिटिया दौडते हुये आकर पापा के गोद में आकर बैठ गयी । बिटिया को गोद में लेकर मित्र ने रिमोट से टेलिविजन खोला । हमारे लिए खबरों की जानकारी के लिए भारतीय चैनल देखना स्वभाविक था । पता नहीं क्यों हमारा ध्यान कभी भी पाकिस्तान की मिडिया तक नहीं पहुच पाता है । टीवी पर हवाई हमले औैर तोप गोलों की कान फटनेवाली विस्फोटों की आवाज के साथ दृश्य चल रहा था । एंकर न्युज रुम में इधर उधर दौडते हुये चिल्ला रहा था — पाकिस्तान को घेर लिया गया है । भारतीय सेना पाकिस्तान के अन्दर तक घुस चुकी है । पाकिस्तानी सेना प्रमुख को बन्दी बना लिया गया है । प्रधानमंत्री भाग चुके हैं, कराची और ईश्लामाबाद तबाह हो चुके हैं । कई पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों को तबाह किया जा चुका है । पाकिस्तान के परमाणु केन्द्र्र पर रिसाव शुरु हो गया है , लोगों में भगदौड चल रही है । टीवी पर चलरहे दहला देनेवाले आवाज और दृश्य देखकार नन्हीं बिटिया अपने पापा के गोद से उठकर चिल्लाते हुये भितर की ओर भाग गई । बच्चों के सामने ऐसे डरावने दृश्य और अवाजवाले चैनल मत खोला किजिए न, हरर फिल्म देख रहे हैं क्या — भितर से भाभी ऊँची आवाज में बोली । न्युज देख रहे हैं और कुछ नहीं — मित्र ने भी भाभी को सुनाते हुये ऊँची आवाज में कहा । ऐसा भी कोई समाचार होता है क्या, वह बोली ।
ऐसे तनाव के हालातों में समाचारों में थोडा भडकाव अस्वभाविक नहीं माना जा सकता परन्तु चन्द घण्टों में ही ये दावे गलत सावित हो तो सवाल उठना स्वभाविक है । इधर उधर की दहला देनेवाले भिडियो फुटेज और आवाजको सुना दिखाकर क्या सिद्ध करने की कोसिश की जा रही थी ! आश्चर्य होता है । यह कोही पब्जी गेम से बढकर नहीं था । बाद में भारतीय सेना को ही अफवाह न फैलाने के लिए सचेत करना पडा । क्या भारतीय जनता ऐसे ही समाचार देखने सुनने की आदि हो गई है ? क्या कुछ घण्टोंवाली आत्मरति का आनन्द ही सबकुछ था ? जनताको सत्य जानने के अधिकारों के उपर क्यों खेलवाड करने दिया जा रहा है ? हरकिसी समाचार के सत्यापन के लिए अन्य कई स्रोतों को खंगालना पडे तो आम लोगों की मानसिकता पर क्या असर पडता होगा ? मित्र के घर से निकलने के बाद भी रास्ते में सोचता चला जा रहा था ।
संसार में भारत को बडे लोकतन्त्र और धर्र्म निरपेक्ष ही नहीं दुनिया के पाँच बडे अर्थतन्त्रवाले देश के रुपमें माना जाता रहा है । दुनिया के महाशक्ति अमरीका और चीन भी उसे नजरअन्दाज करने की स्थिति में नहीं हैं । ऐसे देश में लोकतन्त्र का चौथा स्तम्भ का सामाजिक संजालिकरण होना चिन्ता का विषय है । लगता है भारत अपनी ही ताकत को उचित आजमाईश नहीं कर पारहा है ।
ऐसा नहीं कि ईन चैनलों ने ऐसी हरकत पहलीवार किया हो । भारत के अन्दरुनी मामलों में भी इन की आलोचना होती रही है । भारत के पास पडोस के छोटे देश में भारत की साख को गिराने की हरकत भी ये करते आये हैं । सरकार भले ही शंयमित दिखती हो परन्तु ये कुछ भी मनगढन्त कहानी बनाकर चला देते हैं । भारतीय मिडिया की धुमिल छवि को लेकर पास पडोस में ही नहीं बाहर भी धज्जियाँ उडाई जाती हैं ।
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