भारत पाकिस्तान टकराव पर सवाल क्यों उठ रहे हैं ?
भारतीय सेना के चिफ अफ डिफेन्स स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने ब्लुम्वर्ग टीवी की हसलिन्डा अमीन और रोयटर को दिये सात्क्षत्कार में परोक्ष रुपसे पाकिस्तान के खिलाफ हुये सैन्य अभियान के दौरान कुछ भारतीय युद्धक विमानों को पाकिस्तान द्वारा गिराये जाने की बात स्वीकार की परन्तु संख्या के बारे में बताने से बचते रहे ।
सिंगापुर में आयोजित सांग्रीला डायलग में शिरकत करने गये भारतीय सेना के चिफ अफ डिफेन्स स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने ब्लुम्वर्ग टीवी की हसलिन्डा अमीन और रोयटर को दिये सात्क्षत्कार में परोक्ष रुपसे पाकिस्तान के खिलाफ हुये सैन्य अभियान के दौरान कुछ भारतीय युद्धक विमानों को पाकिस्तान द्वारा गिराये जाने की बात स्वीकार की परन्तु संख्या के बारे में बताने से बचते रहे । उन्हाेंने कहा —“कितनी क्षती हुयी यह बडी बात नहीं है, हमारी किस चुक के चलते क्षती हुई यह बडी बात थी । हमने बाद में चुक को दुरुस्त किया और अपने मकसद को पुरा किया ।” उनके कथन का मतलब तो यही निकलता है कि पाकिस्तान शीघ्रता से जबावी कार्यवाही पर उतर आयेगा भारतीय सेना को बिल्कुल अन्दाज नहीं था । यह भारतीय खुफिया तन्त्र की कमजोरी थी । वैसे सभी को पता है कि पाकिस्तान सन् २०२२ से ही चीन से उन्नत तकनीकि के सैन्य विमान खरिद कर अपनी ताकत में इजाफा कर रहा था । जनरल चौहान ने साक्षात्कार में भारतीय मिडिया के उतावलेपन की ओर संकेत करते हुये कहा “ सेना को १५ फिसद समय अफवाहों से निपटने में गवाना पडा ।” उनके इस बयान से भारत में एकतरह से तुफानी बहस शुरु हो गया । इससे पहले भी विमान गिराये जाने के सवाल पर इसीतरह की बात एक पत्रकार सम्मेलन में डिजिएमओ ने भी कहा था ।
पाकिस्तान भारत के ६ विमानों को गिराने का दावा कर रहा था । पाकिस्तान द्वारा भारतीय विमानों गिराये जाने की खबर ७ मई को ही अमरीकी टेलिविजन सीएनएन ने सार्वजनिक किया था । उसके बाद भारत में सनसनी फैल गयी । उसी दिन भारतीय अखबार द हिन्दु में विजेता सिंह की एक रिपोट छपी । जिस में पाकिस्तान द्वारा ५ विमानों गिराने की बात थी । रिपोर्ट में कुछ मलवे की तस्वीरें भी शामिल थीं । गिरे विमानों में ३ राफेल, १ मीग— २९, और १ सुखोई— ३० शामिल थे । कश्मीर के अखनुर, रामबन और पम्पोर में मलबे के पडे मिलने की खबर दी गई थी । परन्तु बाद में स्वयं द हिन्दु नें अप्रमाणिक बताकर माफी मागते हुये इस खबर को खारिज कर दिया था । बाद में भारतीय जनता पार्टी के सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने एक साक्षत्कार में पाकिस्तान द्वारा ५ भारतीय विमान गिराये जाने की बात बतायी । फिलहाल कुछ भारतिय मिडिया में पाकिस्तान के विमानो को नष्ट किये जाने की खबरें चलाई जा रही है । भारत द्वारा पाकिस्तान के कई एयरबेस पर हमले की पुष्टि हो चुकी है । इस दौरान कुछ विमानों की क्षती की संभावना को नकारा नहीं जा सकता परन्तु इसकी स्वतन्त्र पुष्टि नहीं हो पायी है ।
अबतक देखे गये सभी युद्धों में ऐसी सुचनाओं पर सेना का ही पकड होता था । इन हालातों में सेना को कुछ महत्वपूर्ण सुचनाओं को गोेप्य रखने की आवश्यकता भी हो सकती है । पर ईसबार ऐसा देखा नहीं गया । जनरल चौहान के बयान से पता चलता है कि भारतीय मिडिया के फैलाए गये भ्रामक दावों ने किस कदर सेना को सकते में डाल दिया था । एकतरफ सेना अपने मकसद को पाने के लिए जद्दोजेहाद कररही थी वहीं दुसरी ओर मिडिया स्टुडियो से अनापसनाप खबरें परोस रहा था । लगता था मिडिया लोगों को गुमराह में रखकर राजनीतिक किसी दावपेंच पर जिजान लगारहा था । पाकिस्तान की तबाही और पाक अधिकृत कस्मीर को वापस लेने की उम्मिद के भडकावपूर्ण मिडियाबाजी ने पहलगाम की घटना से आक्रोशित आम लोगों को हद से ज्यादा उत्साहित कर दिया था । यह उत्साह सिजफायर तक आते आते बिल्कुल फिका पड गया था । फिर सोसल मिडिया में ट्रोल का तुफान शुरु हो गया जिससे सरकार ही नहीं सेना भी बच नहीं पाई ।
इन हालातों में लोगों को आश्वस्त करना, मुद्दे पर गम्भिर विमर्श करने की बजाय विज्ञता के नाम पर उत्तेजक लोगों की भीड जमा कर मिडिया में ककफाईट चलाया जाता रहा । चीन और टर्की पर पाकिस्तान को हथियार देने और अजरबैजान और इरान को पाकिस्तान हमदर्दी दिखाने को लेकर लताडा जा रहा था । यह बात सही थी कि टर्की और चीन के बलबुते पर ही पाकिस्तान इसबार भारत के सामने खडा हो पाया था । परन्तु युद्ध के हालातों में इसतरह की मिडियाबाजी को कुटनीति नहीं कहा जा सकता । इन मसलों पर सरकार के जरिये ही कुछ किया जा सकता था मिडियाबाजी से नहीं । इन हरकतों से एक दुश्मन के पाले में औरों को जबरन शामिल किया जारहा था । ऐसे गम्भिर कुटनीतिक और सैन्य मामलों मे मिडियाको आगे करना आनेवाले दिनो में भारतको और भी महंगा पड सकता है ।
भारत—पाक तनाव १० मई को सिजफयर पर सहमती बनने के बाद भी पाकिस्तान द्वारा उल्लंघन की खबरें चलती रही फिर भी तनाव थमने में समय नहीं लगा । गोला बारुद की विस्फोटक आवाज शान्त हो गया । परन्तु लोगों के मन में कुछ सवाल ज्यों का त्यों बचे रहे । सिजफयर के कुछ घंटे पहले अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक्स पर लिखा कि रातभर समझाने के बाद भारत और पाकिस्तान सिजफायर पर सहमत हो गये । बाद में उन्हों ने यहाँ तक लिखा लिखा कि सिजफयर के लिए दोनों पर व्यापार न करने का दबाव बनाया गया था । तब जाकर बात बनी थी । लगता था उनके मध्यस्थता में ही यह संभव हो गया था । परन्तु भारत सिजफायर में किसी तीसरे पक्ष की संलग्नता को मानने से इन्कार ही नही कर रहा था बल्कि पाकिस्तान की तरफ से प्रस्ताव आने पर ही सहमती करने का दावा कर रहा हैै । उधर पाकिस्तान ने सिजफयर में अमरीका की मध्यस्थता को स्वीकार किया है जिससे भारत मेंं अन्योलता दिखाई देना स्वभाविक था । पाकिस्तान ने जंग में भारत के तीन राफेल और दो अन्य युद्धक विमानों को मारगिराने का दावा किया था परन्तु भारत इस सवाल का जबाव देने से बच रहा था । वह इस दावे कोे खारिज भी नहीं कररहा था न ही स्वीकार रहा था । इस रवैये ने सभी को हैरत में डाल दिया ।
तनाव शुरु होते ही दुनियाँ के अधिकांश देशों ने पहलगाम में घटित आतंकी नरसंहार की निन्दा करते हुये दोनों को शंयम बरतने की अपिल किया । भारत को पुरा विश्वास था कि वह पाकिस्तान के खिलाफ आतंकवादको सह देने के आरोप में दुनियाँ से भारी समर्थन जुटा पायेगा परन्तु ऐसा हुआ नहीं । आतंकवाद के नाम पर किसी भी देश ने खुलकर पाकिस्तान की आलोचना नहीं की जिससे भारत को लाभ मिलता ।
सितम्वर ११, २००१ में अमरीका पर हुये आतंकी हमलोें के बाद के दो दशक दुनियाँ में अमरीकी बलबुते परं आतंकवाद विरोध का मुहिम चल पडा । भारत के रणनीतिक और व्यापारिक रिश्ते भी इसी समय में अमरीका के साथ अच्छे बनते गये । परन्तु अफगानिस्तान से उसकी वापसी और कोविड महामारी के बाद आतंकवाद विरोधी मुहिम कमजोर पडने लगा था । अमरीका में दुसरी बार डोनाल्ड ट्रम्प के सत्तारोहण के बाद अमरीका पारम्परिक नीतियों से हटकर संम्रक्षणवाद की ओर जाने से इस मुहिम ने वैश्विक चरीत्र पुरी तरह से खो दिया है । अब दुनिया आर्थिक विकास और व्यापार के युग में प्रवेश करता दिखाई देने लगा है । इस समय दुनियाँ अमरीकी वर्चस्ववाले एकध्र्रुविय से बहुध्रुवियता की ओर संक्रमण के कगार पर खडा है । बिते दशक में विश्वमंच पर भारत बहुत सक्रिय रहा है फिर भी उसका परिणाम इसबार आशा के अनुरुप नहीं रहा । भारत का पहलगाम मसले को लेकर पाकिस्तान पर दबाव बनाने की उम्मिद कारगर न होने में दुनियाँ की इन्हीं नई परिस्थितियो का मिलाजुला असर भी था । पिछले दशक से दुनियाँ में बडे लोकतन्त्र के रुपमें प्रतिष्ठित भारत पर अन्दरुनी राजनीति में साम्प्रदायिक पक्षपात करने के लिए आलोचना की जाती रही है । इसका असर भी इसबार परोक्ष रुपसे पडा ।
हाल में भारत ने अपने पक्षको रखने लिए विश्व के कई देशों में प्रतिनिधि भेजा है । जिसमें विपक्ष के कुछ लोगोें को भी सामिल किया गया हैं । इससे लगता है भारत को अपनी खामियों का अहसास हो गया है । परन्तु इससे भी भारत के उम्मिद के मुताबिक सफलता मिलने की संभावना कमजोर है । जो भी हो गलतियो से सिखना फिर कामयाबी की ओर बढना निरन्तर चलनेवाली प्रकृया है । भारत एक शक्तिसम्पन्न देश है । उसकी सकारात्मक गतिशीलता उसे मुकाम पर पहुँचने में कोई नहीं रोक सकेगा ।
हालिया भारत पाकिस्तान तनाव की समयरेखा
२२ अप्रैल, २०२५— जम्मु कश्मीर के पहलगाम के निकट पर्यटकीय बैसरन घाटी में हथियारधारी चार आतंकवादियों द्वारा २८ लोगों की हत्या ।
२३ अप्रैल २०२५— प्रतिवाद में भारत द्वारा सन् १९६० के भारत पाकिस्तान सिन्धु जलआबंंटन सन्धी निलम्बित , अटारी बाघा सीमा बन्द, भारत में रहरहे पाकिस्तानी नागरीकों की विजा रद्द और ४८ घंटों में भारत छोडने का आदेश, कुटनीतिक नियोग के कुछ लोगों का निष्काशन । पाकिस्तान ने भी इसीतरह के जवाबी कदम उठाए ।
२४ अप्रैल, २०२५— भारत द्वारा कश्मीर में आतकवाद विरोधी अभियान चलाया । कई स्थानों पर छापे पडे, संदिग्धों के घरों को तबाह किया , दो पाकिस्तानी नागरीक और दो कश्मीरियों की पहचान का दावा । पाकिस्तान ने पहलगाम हमले पर निष्पक्ष जाँच की माग की परन्तु भारत ने खारीज कर दिया । नियन्त्रण रेखा के आसपास गोलावारी की घटना ।
२५ अप्रैल २०२५— पहलगाम को सील किया गया और सिमा क्षेत्र मेेंं भारतीय वायु और स्थल सेना की गस्ती को बढा दिया गया ।
२६ अप्रैल २०२५— भारत ने औपचारीक रुपसे हमले में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआई की संलग्न होने का आरोप लगाया । कश्मीर में करीबन १५०० लोगों को पुछताछ के लिए हिरासत में लिया गया ।
२९ अप्रैल २०२५ — लाईन अफ कन्ट्रोल में गोेलाबारी । भारत ने पाकिस्तान पर गोलाबारी शुरु करने का आरोप लगाया । पाकिस्तान ने खुफिया सुत्रों के हवाले से भारत द्वारा ३६ घंटों के अन्दर पाकिस्तान पर हमले की तैैयारी का दावा ।
३० अपै्रल २०२५— भारत ने पाकिस्तानी एयरलाईन्स को अपने हवाईक्षेत्र में उडान पर रोक लगाया । भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हालातों को देखते हुये साउदी अरब की दौरे को छोडकर लौटे और उच्चतरिय सुरक्षा बैठक की अध्यक्षता की । बैठक में सेना को परिचालन की स्वतन्त्रता दी गई । अमरीका द्वारा दोनों पक्षको शंयमित रहने का आह्वान् । अमरीकी प्रतिनिधि नताली बेकर का पाकिस्तानी विदेशमंत्री इशाक डार से मुलाकात ।
१ मई २०२५— पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने पहलगाम हमले में अपनी संलग्नता से ईन्कार । भारत ने भड्कावपूर्ण प्रचारबाजी के लिए कई पाकिस्तानी चैनलों का भारत में प्रसारण पर रोक लगाया । संयुक्त राष्ट्रसंघ ने तनाव बढने से परिणाम विनाशकारी होने की शंका जतायी ।
२ मई २०२५— अमरीकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने दोनों देश के अधिकारियों से मसले पर बातचित किया । भारत ने कुछ देशों के साथ हालातोंं को साझा किया और संवेदनशील इलाकों के लोगों को खाद्य सामाग्री जमा करने को कहा ।
३—६ अप्रैल २०२५— सिमा पर रुक रुक कर झडपें होती रही । पाकिस्तान ने सन् १९७२ के शिमला सम्झौते से हटने की चेतावनी दी ।
७ मई २०२५— भारत ने अपरेशन सिन्दुर के तहत पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में लश्कर ए तोयबा और जैैस ए मोहम्मद के नौ आतंकी ठिकानो को निशाना बनाने और १०० से अधिक आतंकियों को मारने का दावा किया । पाकिस्तान ने जैश ए मोहम्मद के नेता के १० परिजन के साथ ३१ साधारण लोगों की मौत की खबर दी । उसने भारतीय हवाईसेना के राफेल सहित कई युद्धक विमानों को गिराने का दावा किया । पाकिस्तानी हमले में पुंछ में एक गुरुद्वारा में क्षती, १६ लोगों की मौत ४३ को चोटें आयीं । भारत ने बडी नुक्सानी से इन्कार किया ।
८—९ मई २०२५— पाकिस्तान द्वारा कई भारत के कुछ ठिकानो में ड्रोन आक्रमण परन्तु असफल करने का भारत का दावा । भारत ने पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के बहार भी कर्ई ठिकानों मे ड्रोन और मिसाईल प्रहार किया और क्षती पहुँचायी । संयुक्त राष्ट्रसंघ में बैठक, भारत नै मामले को द्वैपक्षीय बताया और पाकिस्तान ने अन्तरराष्ट्रिय मध्यस्थता की माँग की । बैठक निष्कर्श विहिन ।
१० मई २०२५— भारत ने हमले जारी रखा । दोनों देश युद्ध विराम सहमत । अमरीकी राष्ट्रपति ने काफी प्रयास के बाद भारत और पाकिस्तान को युद्ध विराम पर सहमत कर पाने के लिए संतोष प्रकट किया । भारत में ट्रम्प की भूमिका को लेकर शंदेह ।
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