पाकिस्तान पर भारत की ठण्डी प्रतिक्रिया
बाबुराम पौड्याल
भारत के विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान में चुनावी नतिजों की सार्वजनिक होने के दो दिन बाद संयमित प्रतिक्रिया देते हुये चुनाव को लोकतांत्रिक अभ्यास को सकारात्मक बताते हुये वहां की जनता को बधाइ दिया है । उसने इमरान खान और उनकी पार्टी पीटीआई के बारे में कुछ बताए वगैर ही आनेवाले दिनो में पाकिस्तानद्वारा दक्षिण एशिया में आतंकवाद के खिलाफ और शान्ति के पक्ष में काम करने की उम्मिद जतायी है ।
इससे पहले ही पाकिस्तानी नेता इमरान खान ने भारत के साथ बातचित के जरिये सभी मसले सुलझाने की बात बताते हुये कस्मिर में भारतीय सेना द्वारा वहांके लोगों को सताए जाने की बात को छेड दिया था । इसके साथ ही उन्होने बलुचिस्तान का जिक्र भी किया । इस बात भारतिय मिडिया में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली । परन्तु विदेश मंत्रालय ने इसपर कोई टिप्पणी नहीं की ।
बिते दिनों में इमरान खान पकिस्तान में चीन की बढती पूजी निवेश और प्रभाव के खिलाफ बोल चुके थे । इसलिए भारत चाहता था कि उनका यही सोच प्रकट हो, आतकवाद के खिलाफ प्रतिबद्धता और कस्मिर में उसके अनुशार होरहे पाकिस्तानी घुसपैठ को रोकने की दिशा में कुछ नरमी दिखाई दे । परन्तु विरासत से हटकर ऐसा कुछ नहीं दिखाई दिया । अपने बयान में इमरान ने चीन की सराहना की ।
जाहिर है, पाकिस्तान और बाहर भी इमरान को पाकिस्तानी सेना का पसन्दीदा लीडर के रुपमें देखा जा रहा था । पाकिस्तान की विपक्षी दलों ने चुनाव में पीटीआइ को जितका सेहरा पहनाने के लिए हेराफेरी करने का आरोप सेना पर लगाया है ।
सेना इन मसलों पर अपने रवैये को बदलने को तैयार नहीं लगती है । भारत के साथ जंग में कईबार नाकामयाबी को सेना कभी भूल नहीं पायी है । ऐसे में इस्लामाबाद के तख्त पर बनेरहने के लिए सेना के साथ फासला रखने की किमत जानना भी इमरान को जरुरी था । भारत और पाकिस्तान बीच का तनाव सारे दक्षिण एशिया को प्रभावित करता रहा है । शुरुआती नजरिये को देखते हुये लगता तो यही है कि आनेवाले दिनों में भारत—पाक रिश्तों में खुशहाली के आसार कम ही हैं ।
भारत के विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान में चुनावी नतिजों की सार्वजनिक होने के दो दिन बाद संयमित प्रतिक्रिया देते हुये चुनाव को लोकतांत्रिक अभ्यास को सकारात्मक बताते हुये वहां की जनता को बधाइ दिया है । उसने इमरान खान और उनकी पार्टी पीटीआई के बारे में कुछ बताए वगैर ही आनेवाले दिनो में पाकिस्तानद्वारा दक्षिण एशिया में आतंकवाद के खिलाफ और शान्ति के पक्ष में काम करने की उम्मिद जतायी है ।
इससे पहले ही पाकिस्तानी नेता इमरान खान ने भारत के साथ बातचित के जरिये सभी मसले सुलझाने की बात बताते हुये कस्मिर में भारतीय सेना द्वारा वहांके लोगों को सताए जाने की बात को छेड दिया था । इसके साथ ही उन्होने बलुचिस्तान का जिक्र भी किया । इस बात भारतिय मिडिया में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली । परन्तु विदेश मंत्रालय ने इसपर कोई टिप्पणी नहीं की ।
बिते दिनों में इमरान खान पकिस्तान में चीन की बढती पूजी निवेश और प्रभाव के खिलाफ बोल चुके थे । इसलिए भारत चाहता था कि उनका यही सोच प्रकट हो, आतकवाद के खिलाफ प्रतिबद्धता और कस्मिर में उसके अनुशार होरहे पाकिस्तानी घुसपैठ को रोकने की दिशा में कुछ नरमी दिखाई दे । परन्तु विरासत से हटकर ऐसा कुछ नहीं दिखाई दिया । अपने बयान में इमरान ने चीन की सराहना की ।
जाहिर है, पाकिस्तान और बाहर भी इमरान को पाकिस्तानी सेना का पसन्दीदा लीडर के रुपमें देखा जा रहा था । पाकिस्तान की विपक्षी दलों ने चुनाव में पीटीआइ को जितका सेहरा पहनाने के लिए हेराफेरी करने का आरोप सेना पर लगाया है ।
सेना इन मसलों पर अपने रवैये को बदलने को तैयार नहीं लगती है । भारत के साथ जंग में कईबार नाकामयाबी को सेना कभी भूल नहीं पायी है । ऐसे में इस्लामाबाद के तख्त पर बनेरहने के लिए सेना के साथ फासला रखने की किमत जानना भी इमरान को जरुरी था । भारत और पाकिस्तान बीच का तनाव सारे दक्षिण एशिया को प्रभावित करता रहा है । शुरुआती नजरिये को देखते हुये लगता तो यही है कि आनेवाले दिनों में भारत—पाक रिश्तों में खुशहाली के आसार कम ही हैं ।
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