भारत में विपक्षी गठबन्धन का मोदी पर दबाव



भारत में बढती चुनावी सरगर्मी के साथसाथ मतदाताओ को आकर्षित करने के लिए राजनीतिक पार्टियों ने मुहिम तेज कर दी है । विपक्षी महागठबन्धन की एकता रैली का आयोजन पश्चिमबंगाल के  कोलकता शहर में १९ जनवरी को आयोजित किया गया है । तृणामूल की नेतृ तथा पश्चिमबंगाल की मुख्यमंत्री ममता ब्यानर्जी ने चुनावी मुहिम के लिए रैली को आयोजन किया है ।
                                                                       रैली की तैयारी                                                            फाइल  फोटोः News 18
        ममता ने पश्चिमबंगाल में लम्बे समय से सत्तासीन वामपंथियों के किले को गिराकर सत्ता में आने के बाद अपने को बहुत मजबूत करलिया है । बताया जाता है कि राज्य में इसबार भी वह बंगाल में अपना वर्चस्व बरकरार रख पायेंगी । परन्तु, उनकी नजर अब कोलकाता तक ही सिमित नहीं है । बह दिल्ली में भी अपना प्रभाव देखना चाहती है । भारतीय जनता पार्टी की शुरु से ही कट्टर आलोचक ममता के इस मकसद के लिए विपक्षी गठबन्धन की कोलकाता रैली खास मायने रखता है ।

गठबन्धन के एकता प्रदर्शन में देश भर से विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं को न्यौता भेजा गया है । कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गान्धी ने विभिन्न कारणों के चलते रैली में उपस्थित होने में असमर्थता की सुचना दी है । उन्होने ममताको खत लिखकार वीजेपी के खिलाफ की सभी प्रयासों में गठबन्धन का साथ देने की बात कही है ।   रैली में काग्रेस की ओर से लोकसभा में विपक्षी नेता मल्लिकार्जुन खगडे और अभिषेक सींघवी हिस्सा लेंगे ।

पूर्वप्रधानमंत्री एच डी देवेगौडा, कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच डी कुमारास्वामी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरबीन्द केजरीवाल, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री चन्द्रबाबु नायडु, समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव, कश्मीर से फारुख अब्दुल्ला, उमर फारुख, शरद यादव, तेजस्वी यादव भी इस प्रदर्शन में भाग लेंगे । बहुजन समाजपार्टी की मायावती की ओर से सतिश मिश्रा को कोलकाता प्रदर्शन में देखने को मिलेगा । बतायाजाता है  कि वीजेपी सांसद अभिनेता शत्रु धन सिन्हा  भी कोलकाता आनेवाले हैं । वे पिछले कुछ समाय से बीजेपी से असंतुस्ट चल रहें  हैं। 

कोलकाता में ममता की बोलती तुती ने तो राज्य में वामपंथियों को भारी दुविधा में डाल दिया है । वे न तो ममता के साथ हो सकते हैं न हिन्दत्व के भगवा परचम के तले खडे हो सकते हेै ।

       सत्तारुढ भारतीय जनता पार्टी आनेवाले कार्यकाल भी सत्ता में बने रहने के लिए एडीचोटी कर रही है । विपक्षियों भारीभरकम लगनेवाली तयारी से वीजेपी पर दवाव बढता नजर आता है । परन्तु, उत्तरप्रदेश में मायावती और अखिलेश ने कांग्रेस को बाहर रखकर चुनावी गठजोड का ऐलान कर दिया है । इसके बाद कांग्रेस ने वहाँ सभी सीटों पर अकेले चुनाव में भाग लेने का निर्णय किया है । इससे विपक्षी महागठबन्धन की मजबुती पर सवाल खडा हो गया है । इकलौते वीजेपी विरोध का पतले धागे में र्बँधकर गठजोड कब तक बना रहेगा ?      

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