भारत—पाक द्वन्द : संवाद का कोई विकल्प नहीं
भारत के पाकिस्तान पर किये गये सर्जिकल स्ट्राइक ने संभव है, दोनों देशको एकबार पिछे मुड़कर देखने मजबुर करदेगा जहां उन्हें खून और तबाही के सिबा कुछ नजर नहीं आएगा। तब शायद उन्हें आगेका रास्ता साफ नजर आएगा।
भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर की नियन्त्रण रेखा के दोनों ओर तनाव अब भी कायम है । भारतीय वायुसेना के हमले के बाद कुछ दिनों तक गोली और तोपें चलती रही और आसमान में युद्धक विमानों की कान बन्द कर देने वाली कर्कश आवाज सुनाइ देती रही । हवाईहमले के लिए गये भारतीय वायुसेना के एक विमान के पाईलट अभिनन्दन वर्तमान कोे पाकिस्तान ने बन्दी बना लिया ।
माना गया था कि पाईलट वर्तमान को पाकिस्तान द्वारा लौटाये जाने के बाद दोनों देशों के बीच शान्ति और सुलह सफाई का माहौल बनने लगेगा । वैसे दोनों देश अपने कुटनीतिक नियोगको फिर से दुरुस्त करने में लगे हैं । फिर भी आमलोग में अभी भी दहशत का माहोल छँटा नहीं है ।
अब भारत और पाकिस्तान दोनों दक्षिण एशिया की
परमाणु शक्तिसम्पन्न हैं । अब विवाद एक दुसरे पर
किचड उछाल कर कथित देश भक्ति का रिचार्ज करने
का जरिया बन गया है ।
फिलहाल क्रस बोर्डर फायरिङ और गोलाबारी थमी जरुर है फिर भी विश्वास पर सदा की भाँती दरारें बरकरार हैं । भारत के कश्मीर में आतंककारियों ने एक बस अड्डे पर फिर से ग्रिनेड प्रहार किया है जिस में एक की मौत हो गई है और कई घायल होने की खबर है ।
भारत और पाकिस्तान दोनों तरफ रियायशी इलाकों से लोगों को सुरक्षित ठिकानों में ले जाया गया है और सुरक्षा के कई इन्तजाम भी किये गये हैं । कुल मिलाकर जनजीवन दहशत में है ।
विरासत की बात
विशाल भारत देश विभाजित हो कर धर्म के आधार पर हिन्दुस्तान और पाकिस्तान बनने के बाद से ही दोनों के बीच शत्रुता बनी रही । सन् १९४७, १९६५, १९७१ और १९९९ दोनों के बीच लडाईयाँ भी हो चुकी है । भारत ने पूर्वी पाकिस्तान को अलग होने में सहयोग किया । लडाई में हार हो जाने के कारण पाकिस्तान की सेना भारत के साथ सदा ही नकारात्मक रहा । पाकिस्तान के राजनीति पर सेना का प्रभाव बढने के कारण भी दोनों देशों के बीच अमन के लिए दिल से प्रयास ही नहीं हो पाया । पाकिस्तानी शासकों ने देश की तरक्की के बदले भारत से बचने के लिए रक्षा के क्षेत्र में औकात से ज्यादा खर्च करता रहा । अब भारत और पाकिस्तान दोनों दक्षिण एशिया की परमाणु शक्तिसम्पन्न हैं । अब विवाद एक दुसरे पर किचड उछाल कर कथित देश भक्ति का रिचार्ज करने का जरिया बन गया है ।
शीतयुद्ध के समय में भारत का सोवियत खेमें में होना और अफगानिस्तान में सोवियतसंघ की सामरिक उपस्थिती ने अमरीका ने पाकिस्तान को भरपुर उपयोग किया । अमेरिका ने अनेक तरह के मोजाहिदीन और कबीलाई सरदारों को हथियार और गोला बारुद देकर इस क्षेत्र में आतंक को बढावा दिया । भारत को भी निशाना बनाया गया । जिसका खामियाजा भारत भी आज तक भुकत रहा है । सिमावर्ती पाकिस्तान और पहाडियो पर सीआईए की सक्रियता अधिक थी । अमेरीका ने इस क्षेत्र में आतंकवाद को पालने पोषने का काम किया । इसी विष का शिकार बाद में स्वयं अमेरीका बना ।
पाकिस्तान पर भारतीय सैनिकों का प्रवेश भी
अमेरीकी शैलि पर ही हुआ है । यह कदम पास
पडोस के अन्य छोटे देशों पर भी संकोच में डाल
देनेवाला है । यह परिणाम विश्वास के बुनियाद
पर आपस में संवाद के न होने से आयी थी ।
नौबत यहां तक आई कि अमरीका ने ओशामा विन लादेन को पकडने के लिए गोप्यरुप से पाकिस्तान पर प्रवेश किया । किसी देश में विना अनुमति दुसरे देश की सैनिक कों का प्रवेश करना आपत्ती जनक है । परन्तु अमरीका ने यही किया । पाकिस्तान पर भारतीय सैनिकों का प्रवेश भी अमेरीकी शैलि पर ही हुआ है । यह कदम पास पडोस के अन्य छोटे देशों पर भी संकोच में डाल देनेवाला है । यह परिणाम विश्वास के बुनियाद पर आपस में संवाद के न होने से आयी थी ।
आतंकवाद की परिभाषा में भी बहुत बडी समस्या है । विभिन्न देशों में चलरही आतंकवादी गतिविधियों को बलशाली देश अपने स्वार्थ के अनुकुल आतकवादी या मुक्ति आन्दोलन के रुपमें परिभाषित करते हैं । परन्तु जब अमरीका पर अलकायदा के हमले हुये तब से उसने आतंकवाद का विरोध करना शुरु कर दिया है । अब आतंकवाद हरएक शक्तिसम्पन्न देश के लिए भी बडा मुद्दा बन गया है । दुनिया के किसी भी बहुराष्ट्रिय मंच पर आतंकवाद के लेकर चरचे होने लगे है ।
सिरियल की नई इपिसोड की बात
चौदह फरवरी को कश्मीर के पुलवामा में भारतीय सुरक्षाकर्मियों पर भारत में आतंक फैलाने के लिए सक्रिय जैस ए मोहम्मद के एक कश्मीरी युवकद्वारा किये गये आत्मघाती विस्फोट से चालिस से अधिक भारतीय सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई थी । जैस ए मोहम्मद ने वारदात के लिए स्वयं को जिम्मेदार कबुल कर चुका है । जैस के सरगना मसुद अजहर पाकिस्तान में रहकर भारत में इस तरह के वारदातों को अंजाम देता आ रहा है । भारत का आरोप है कि पाकिस्तान अपने खुफिया एजेन्सी आइएसआई के जरिए जैस को भारत के खिलाफ इस्तेमाल कर रहा है । इस खौफनाक वारदात से भारत पाकिस्तान के बीच अरसे से चल रहे तनावपूर्ण दौर का एक और नया ईपिसोड शुरु हो गया ।
अमरीकी और भारतीय खुफिया एजेन्सियों का मानना था कि मोजाहिदीन का अलकायदा, तालिबान और पाकिस्तान की खुफिया एजेन्सी के बीच करीबी ताल्लुकात थे । विमान को दुबई होते हुये अफगानिस्तान के कंधार विमानस्थल पर उतारा गया था । अपहरणकारियों ने विमान उतारने के लिए कंधार को इसलिए चुना क्योंकि उस समय अफगानिस्तान इश्लामिक कट्टरपंथी तालिवान के कब्जे में था । अन्तत अपहरणकारियों के माग के मुताबिक भारत ने अपने जेलों में कैद तीन लोगों को रिहा करने के बाद विमान को अपहरण मुक्त करवाया । मसुद अजहर उन तीनों में एक था । बाद में उसने जैश ए मोहम्मद नाम से नये संगठन का निर्माण किया ।
भारतीय समाचार के मुताबिक पुलवामा के निन्दनीय वारदात के तेरहवें दिन में भारतीय वायुसेना ने नियत्रण रेखा पार कर भोर होने से पहले ही पाकिस्तान के वालकोट में ही जैस ए मोहम्मद के ठिकानों को तबाह कर दिया । इस कार्यवाही में तीन सौ से अधिक आतंकवादियों को मौत के घाट उतार कर मिशन पर कामयाबी हासिल की ।
मिडिया: सुसूचित से अधिक दिग्भ्रमित भूमिका
भारतीय समाचारों से लगता था कि वैसे ही कमजोर पाकिस्तान की रिढ की हड्डी तोड दी गई है । भारतीय समाचारों ने पुरे नमक मीर्च के साथ समाचारों को तुल दिया । सोसियल मिडिया पर पाकिस्तान के प्रति जो आक्रोश था वह अब बदला लिये जाने के खबर से विजय उन्माद के शक्ल में तब्दिल हो रहा था ।
अपने रास्ते चलरहे सुरक्षाकर्मियों का कत्ल से आहत भारतीय आम जनमत का इसकदर उमडना अस्वभाविक नहीं था । पाकिस्तान की रिढ का हड्डी टुटा हो ऐसा नहीं लगने लगा । दुसरे ही दिन पाकिस्तान ने दो भारतीय युद्धक विमानों को गिराने और एक पाईलट को कब्जे में लेने का दावा किया । समाचारों की लबेदों में आ रही अफवाहों को हटाकर इतना तो प्रमाणिक था भारतीय विमान के पाकिस्तान में गिरने से एक पायलट को पाकिस्तान ने पकड लिया था । जिसको पाकिस्तान ने तीसरे ही दिन शान्ति के संकेत का हवाला देते हुये भारत को लौटाया ।
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान शुरु से ही कुछ नरम दिखाई देते हैं । उन्होनें पाकिस्तान को नये पाकिस्तान बताकर विरासत से अलग होने का संकेत दिया और युद्ध से सभी को नुकसान होने की बात कही । आतंकवाद से दक्षिण एशिया में सब से अधिक पिडित देश पाकिस्तान ही है जहाँ तकरीबन ७०००० से अधिक लागों के जाने चली गई है । इधर भारत में इतना आक्रोश था कि उनके बातों पर किसी ने गौर फरमाना उचित नहीं समझा । भारतीय प्रधानमंत्री मोदी भी सुरक्षाकर्मियों की हत्या के कारण प्रतिवाद में तत्काल कदम उठाने के लिए भारी दबाव में थे । वारदात भारत में ही हुई थी और भारत के ही एक युवक ने इसे अंजाम दिया था । इसपर भारत की भी अपनी चुक दिखाई देती है ।
किसने किसका कितना नोक्सान किया है इस पर बात करना संभव नहीं है । दोनो ओर के दावे छोटे नहीं है । भारत कहता है, जैश के ठिकानों को नेस्तनाबुद करदिया है और ३०० से ज्यादा आतंकियों को ढेर किया गया है । वहीं पाकिस्तान कहता है चीड के दो चार पेडों गिरे है । अन्तरराष्ट्रिय समाचार एजेन्सियो का जो बयान मिलता है उसमें भी एकरुपता दिखाई नहीं देती है । यहां तक कि पुलवामा विस्फोट के लिए विस्फोटक पदार्थ नेपाल से लाये जाने की आधारहीन बात भी मिडिया में आई । पाकिस्तानी मिडिया ने भारत को चेतावनी देते हुये कहा कि पाकिस्तान को नेपाल और म्यानमार न समझा जाये ।
मुलधार की भारतीय मिडिया ने जिस उन्माद को भड्काने का काम किया वह भारत के लिए ही नुक्सानदेह हो सकता था । भारतीय मिडिया ने लोगों को सचेत करने बहाने लोगों को यथार्थ और सही दिशा की ओर निदेर्शित करने की जिम्मेदारी को पिछे छोड दिया ।
भारत में पाकिस्तान के प्रति नजरिये में राजनीतिक रुपसे किसी की कोई विमती नहीं है । परन्तु वायुसेना द्वारा पाकिस्तान पर किये गये हमले की सत्यता पर कई कोण से सवाल उठाए गये हैं । मिडिया के उतावलेपन के कारण ही इसतरह के शंदेह को जगह मिला है । भारत में आसन्न चुनाव के नतीजों को अपने पक्ष में करने के लिए इस मसले को अपने पक्ष में करने के लिए जी तोड कोशिस करते दिखाई देते हैं । इतने संवेदनशील सवाल को हल्के ढंग से लेना देश के लिए अच्छा नहीं है ।
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