G20 शिखर सम्मेलन : अमरीका बदल रहा है रणनीति ?
G20 के ओशाका शिखर सम्मेलन ने कुछ आशा की किरणें छोड रखा है । इसपर कितने इमानदारी के साथ अमल किया जायेगा यही सबसे महत्वपूर्ण बात है ।
जापान के ओशाका शहर में आयोजित G20 का चौदहवाँ शिखर सम्मेलन 29 जून को दुनियाँ के आर्थिक शक्ति देशों के बीच आर्थिक वृद्धि के लिए मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता के साथ सम्पन्न हो गया । अधिकाँश लोगों का मानना है कि सम्मेलन कुछ आशाप्रद संकेतों को भी छोडने में सफल रहा । प्रमुख रुपसे अमरीका—चीन व्यापार विवाद, ईरान—अमरीका विवाद से प्रभावित व्यापार और अमरीका—भारत के बीच जारी व्यापारिक असमझदारी के दौर में कुछ समझदारियाँ जरुर हुई है, फिर भी विभिन्न रणनीतिक स्वार्थ के टकराव के कारण इन अच्छे संकेतों पर छाया पडने की संभावनाएँ अब भी बरकरार है ।
पिछले दिनों एक अन्तरवार्ता में तिब्बती
धार्मीक नेता
दलाईलामा ने हल्के अन्दाज
में राष्ट्रपति के प्रति टिप्पणी करते हुये कहा
था कि वे आज कुछ और कल कुछ और
कहजाते हैं । अमरीका के सहयोग से
निर्वासित
सरकार चलारहे लामा की यह
टिप्पणी भी शब्दों से परे बहुत कुछ कह
जाता है
।
G20 समूह में दूनिया आर्थिक शक्ति सम्पन्न 19 देश सदस्य हैं । इसी मौके पर ब्रीक्स में संगठित उदयमान अर्थतन्त्रवाले ब्रजील, रुस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका की बैठक भी ओशाका में संभव हुवा । बढते एशिया केन्द्रीत रणनीतिक के आसपास कुटनीतिक सरगर्मियाँ विभिन्न स्वार्थो के मुताबिक चलरही प्रतीत होती है । तय था कि चीन भर्सेस अमरीका का मसला विभिन्न स्वरुप में G20 सम्मेलन को प्रभावित करेगा । उसके बाद अमरीका उसके नीति के अनुरुप ईरान को और घेरने या उसके प्रभावों को नेस्तनाबुद करने का हरसंभव प्रयास करेगा । तकरीबन, हुआ भी ऐसा ही । भारत ने भी अपने आतंवाद विरोधी तेवर को बनाए रखा । चीनी राष्ट्रपति सी, अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प, रुसी राष्ट्रपति पुटीन और भारत के प्रधानमंत्री मोदी जमघट के विषेश आकर्षण बने रहे ।
दिल्ली और वाशिङटन के बीच आयात निर्यात के मामले को लेकर सम्बन्धों में जारी कुछ कडवाहट के बीच जून के मध्य में भारत दौरे पर आये अमरीकी विदेश सचिव माईक पम्पियो ने हाल में चलरहे कुछ मुसीबतों के बावजूद भारत और अमरीका के रिश्ते उचाई पर होने की बात की थी । पाम्पियो का भारत दौरा अमरीका द्वारा भारत से आयात पर रियायत हटाये जाने के बदले भारत द्वारा अमरीका से आयातीत सामानो में टैरिफ बढा देने के तकरीबन दो सप्ताह बाद हुवा था । राष्ट्रपति ट्रम्प भारत द्वारा उठाये गये कदम को अस्वीकार्य बताकर कडे शब्दों में आलोचना कररहे थे । अमरीका भारत को ईरान से कच्चा तेल आयात न करने के लिए दबाव दे रहा है । भारत भी न चाहते हुये भी अमरीका की बात मानने की मनस्थिती में है । वाशिङटन स्थित एक भारतीय अधिकारी ने मई द्द तारीख के बाद ईरान से तेल आयात नहीं किये जाने की जानकारी अमरीका को दी थी । अमरीका ने भारत को लेकर आनेवाले दिनों के लिए बहुत दूरगामी सपने संजोये हैं । ईरान को लेकर वासिङटन का और कठोर होते रुख को देखते हुये लगता था कि G20 शिखर सम्मेलन में भी ट्रम्प प्रस्तुत होंगे । कुल मिला कर ओशाका में अनुमान के विपरीत अमरीका कुछ नरम ही दिखाई दिया ।
चीन ने 8k Ultra UHD पावरवाले 5G
का पहलीबार बेईजिङ में सफल
परिक्षण
करने का दावा भी किया है । अगर यह
सच है तो सुचना पर उसकी पहुँच
और
पकड आनेवाले दिनो मे और मजबुत
हो सकते है।
रत ने भी चीन, रुस और अमरीका, जापान के साथ अलग अलग त्रिपक्षीय वार्ताओं में सहभागी बनकर स्वयं को संतुलित रखने का प्रयास किया । इससे कुटनीतिक बढत मिलने का विश्वास शायद भारतीय पक्ष को है । भारत चाहता था कि ईरान से तेल आयात करने में अमरीका को आपत्ती न हो । परन्तु ट्रम्प ने हल्के अंदाज में इस बात को टाल दिया । अमरीका में भारत से आयातित सामानों पर से हटाई गयी रियायत फिर से देने का वचन भी दिया है । अब अमरीका और भारत के बीच व्यापार के क्षेत्र में चल रही कठिनाईयाँ दूर होने के आसार बन गये हैं । भारतीय प्रधानमंत्री मोदी को ट्रम्प ने अच्छे मित्र की संज्ञा देते हुये भारत के साथ और महत्वपूर्ण कार्य करने की मंशा बारबार दोहराते हुये मोदी को प्रभावित करने का प्रयास करते दिखाई दिये । जापान और भारत ही एशिया में अमेरीका के भरोसेमन्द आर्थिक रुप से शक्तिशाली देश हैं । इस भरोसे को पुख्ता करना उसकी सहजता नहीं वाध्यता है ।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि लम्बे समय से चल रहे चीन अमरीका व्यापार विवाद का बर्फ भी पिघलने की संभावना है । चीन और अमरीका इस मसले को निबटाने के लिए फिर से वार्ता शुरु करने को सहमत हो गये हैं । बताया जाता है — अमरीका में प्रतिबन्धित हुवावे कंपनी को भी हरी झण्डी मिल गई है । दुनियाँ के पहले और दूसरे आर्थिक महाशक्ति अमरीका और चीन के दो नेता ट्रम्प और सी ने तकरीबन एक घंटे तक दो पक्षीय वार्ताएं की । पिछले एकसाल से अधिक समय से दोनों के बीच व्यापार युद्ध जारी है । दोनों ने एक दुसरे देशों के आयात पर भारी टैक्स लगा दिया था । अबतक चीन के साथ व्यापार में अमेरीका घाटे पर चल रहा है । अमरीका चाहता है कि व्यापार घाटे से उबरने के लिए चीन से भी उसे सहजता मिले ।
चीन ने 8k Ultra UHD पावरवाले 5G का पहलीबार बेईजिङ में सफल परिक्षण करने का दावा भी किया है । अगर यह सच है तो सुचना पर उसकी पहुँच और पकड आनेवाले दिनो मे और बढ्ने की संभावना है । इस स्थिती से बचने के लिए भी अमरीका को चीन के साथ सहकार्य करना ही श्रेयस्कर है । इसतरह अमरीका तत्काल के लिए सुलह सफाई के रास्ते में उतर आया प्रतीत होता है ।
ट्रम्प ने G20 के सन्दर्भ से बाहर भी उत्तर कोरिया के शरहद के अन्दर पहलीबार कदम रखकर उत्तर कोरिया पहुँचनेवाले पहले अमरीकी राष्ट्रपती होने का रेकार्ड भी बनाया । दो कोरिया के बीच की गैरसैनिक क्षेत्र में उत्तर दक्षिणी कोरियाई नेता के साथ बैठकें भी की । उत्तर कोरिया के साथ भी संवादको शीघ्र जारी करने पर दोनों नेता सहमत हो गये ।
इसतरह G20 शिखर सम्मेलन को अमरीका ने अपने को कुछ उदार दिखाने के लिए भरपूर उपयोग किया । इतना सब होते हुये भी ट्रम्प को दृढ नेता के बदले अस्थिर और तरल नेता के रुपमें जानाजाता है । पिछले दिनों एक अन्तरवार्ता में तिब्बती धार्मीक नेता दलाईलामा ने हल्के अन्दाज में राष्ट्रपति के प्रति टिप्पणी करते हुये कहा था कि वे आज कुछ और कल कुछ और कहजाते हैं । अमरीका के सहयोग से निर्वासित सरकार चलारहे लामा की यह टिप्पणी भी शब्दों से परे बहुत कुछ कह जाता है ।
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